
October 05, 2025
Ved, Puran
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रामायण
रामायण भारत का एक महान ग्रंथ है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था। इसमें भगवान श्रीराम की जीवन यात्रा बताई गई है — जो सत्य, धर्म और आदर्श के प्रतीक माने जाते हैं।
अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र राम को जब वनवास मिला, तो उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ चले गए। वनवास के दौरान रावण नामक राक्षस राजा ने माता सीता का हरण कर लिया। इसके बाद भगवान राम ने हनुमान और वानर सेना की मदद से रावण का वध किया और सीता माता को वापस लाया।
रामायण हमें यह सिखाती है कि सत्य और अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह कथा हमें प्रेम, त्याग, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
रामायण : सनातन का अनन्त महाकाव्य
भमिूमिका
रामायण केवल एक धार्मि कर्मि ग्रथं नहीं है, यह भारतीय सस्ं कृति , दर्शनर्श और जीवन-मल्ूयों का दर्पणर्प है। इसमेंधर्म,र्म
आदर्श,र्श नीति और मानवीय सबं धं ों की ऐसी व्याख्या है, जो आज भी हर यगु मेंप्रासगिं गिक है।
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रामायण का उद्गम
वाल्मीकि द्वारा रचि त रामायण को आदि काव्य कहा जाता है।
बाद मेंतलु सीदास नेअवधी मेंरामचरि तमानस की रचना की।
यह केवल कथा नहीं, बल्कि आदर्श जीवन जीनेकी सहिं हिता है।
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मख्ु य पात्र और उनके आदर्श
राम : धर्म और आदर्शों के प्रतीक।
सीता : शक्ति , त्याग और सहनशीलता की प्रति मर्तिूर्ति।र्ति
लक्ष्मण : समर्पणर्प और सेवा का आदर्श।र्श
हनमु ान : भक्ति , शक्ति और नि स्वार्थ सेवा के प्रतीक।
रावण : वि द्वान होनेके बावजदू अहंकार सेवि नाश का प्रतीक।
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सीता का दृष्टि कोण
सामान्यतः कथा राम के दृष्टि कोण सेकही जाती है, परंतुसीता का जीवन त्याग और परीक्षा की श्रखंृ ला है।
उनका वनगमन, रावण द्वारा हरण और अग्नि परीक्षा उन्हेंधर्यै र्यऔर शक्ति का शाश्वत प्रतीक बनाता है।
सीता यह सदं ेश देती हैंकि स्त्री केवल सहनशीलता की मर्तिूर्ति नहीं, बल्कि धर्म और न्याय की रक्षा का आधार भी है।
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धार्मि कर्मि और सांस्कृति क महत्व
रामायण केवल कथा नहीं, बल्कि धर्म की रक्षा और अधर्म के वि नाश की शि क्षा है।
यह हमेंसत्य, मर्या दा और कर्तव्र्त य का पालन करना सि खाती है।
भारत के हर क्षेत्र, कला, नत्ृय और सगं ीत मेंइसकी छाप है।
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रामायण का शाश्वत सदं ेश
धर्म पर चलना कठि न हो सकता है, परंतुअतं तः वही वि जय लाता है।
अहंकार और अधर्म का अतं नि श्चि त है।
भक्ति , त्याग और सेवा सेही जीवन पर्णू होता है।
भमिूमिका
रामायण केवल एक धार्मि कर्मि ग्रथं नहीं है, यह भारतीय सस्ं कृति , दर्शनर्श और जीवन-मल्ूयों का दर्पणर्प है। इसमेंधर्म,र्म
आदर्श,र्श नीति और मानवीय सबं धं ों की ऐसी व्याख्या है, जो आज भी हर यगु मेंप्रासगिं गिक है।
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रामायण का उद्गम
वाल्मीकि द्वारा रचि त रामायण को आदि काव्य कहा जाता है।
बाद मेंतलु सीदास नेअवधी मेंरामचरि तमानस की रचना की।
यह केवल कथा नहीं, बल्कि आदर्श जीवन जीनेकी सहिं हिता है।
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मख्ु य पात्र और उनके आदर्श
राम : धर्म और आदर्शों के प्रतीक।
सीता : शक्ति , त्याग और सहनशीलता की प्रति मर्तिूर्ति।र्ति
लक्ष्मण : समर्पणर्प और सेवा का आदर्श।र्श
हनमु ान : भक्ति , शक्ति और नि स्वार्थ सेवा के प्रतीक।
रावण : वि द्वान होनेके बावजदू अहंकार सेवि नाश का प्रतीक।
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सीता का दृष्टि कोण
सामान्यतः कथा राम के दृष्टि कोण सेकही जाती है, परंतुसीता का जीवन त्याग और परीक्षा की श्रखंृ ला है।
उनका वनगमन, रावण द्वारा हरण और अग्नि परीक्षा उन्हेंधर्यै र्यऔर शक्ति का शाश्वत प्रतीक बनाता है।
सीता यह सदं ेश देती हैंकि स्त्री केवल सहनशीलता की मर्तिूर्ति नहीं, बल्कि धर्म और न्याय की रक्षा का आधार भी है।
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धार्मि कर्मि और सांस्कृति क महत्व
रामायण केवल कथा नहीं, बल्कि धर्म की रक्षा और अधर्म के वि नाश की शि क्षा है।
यह हमेंसत्य, मर्या दा और कर्तव्र्त य का पालन करना सि खाती है।
भारत के हर क्षेत्र, कला, नत्ृय और सगं ीत मेंइसकी छाप है।
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रामायण का शाश्वत सदं ेश
धर्म पर चलना कठि न हो सकता है, परंतुअतं तः वही वि जय लाता है।
अहंकार और अधर्म का अतं नि श्चि त है।
भक्ति , त्याग और सेवा सेही जीवन पर्णू होता है।