
October 02, 2025
Festival Fast
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नवरात्रि
नवरात्रि सिर्फ उपवास, गरबा या दुर्गा पूजा का ही त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाने वाला पर्व है। नौ रातों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें हर दिन का अपना विशेष रंग, ऊर्जा और महत्व होता है।
यह त्योहार ऋतु परिवर्तन, कृषि चक्र, आध्यात्मिक साधना और पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। भारत के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है—कहीं गोलू की सजावट होती है, कहीं सरस्वती पूजा, तो कहीं कुल्लू दशहरा।
नवरात्रि हमें सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि आत्मशक्ति, अनुशासन और सकारात्मकता का संदेश देती है।
नवरात्रि: नौ रातों का पर्व
नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह नौ रातें माँ दुर्गा को समर्पित होती हैं। इस समय पूरे भारत में घर-घर में भक्ति, नृत्य, संगीत और पूजा का माहौल रहता है। ज़्यादातर लोग नवरात्रि को गुजरात के गरबा, उपवास या बंगाल के दुर्गा पूजा से जोड़ते हैं, लेकिन इस पर्व की और भी कई परतें, क्षेत्रीय परंपराएँ और कम जानी जाने वाली बातें हैं जो इसे दुनिया के सबसे समृद्ध सांस्कृतिक उत्सवों में से एक बनाती हैं।
आइए, नवरात्रि की सामान्य कहानियों से आगे बढ़कर उन पहलुओं को जानें जिनसे बहुत लोग अनजान हैं।
1. साल में चार बार मनाई जाती है नवरात्रि
अधिकतर लोग सोचते हैं कि नवरात्रि साल में सिर्फ एक बार (सितंबर–अक्टूबर में शारदीय नवरात्रि) होती है, जबकि वास्तव में हिंदू पंचांग में चार नवरात्रियाँ होती हैं:
चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल)
आषाढ़ (गुप्त) नवरात्रि (जून–जुलाई)
शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर, सबसे लोकप्रिय)
माघ (गुप्त) नवरात्रि (जनवरी–फरवरी)
गुप्त नवरात्रियाँ साधक और तांत्रिक लोग गुप्त रूप से विशेष साधनाओं के लिए मनाते हैं।
2. नवरात्रि और कृषि
नवरात्रि सिर्फ पौराणिक कथाओं से नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका सीधा संबंध खेती और ऋतु परिवर्तन से भी है। शारदीय नवरात्रि बरसात के बाद आती है जब नई फसलें तैयार होती हैं। इस समय का उपवास और सात्त्विक भोजन शरीर को शुद्ध करने और मौसम बदलने के लिए तैयार करने का एक तरीका है।
3. नौ रंगों का महत्व
आजकल नवरात्रि के नौ रंग पहनने का चलन बहुत लोकप्रिय हो गया है। लेकिन असल में ये रंग नवरात्रि किस दिन से शुरू हो रही है, उस पर निर्भर करते हैं। हर रंग माँ दुर्गा के अलग स्वरूप और उनकी ऊर्जा का प्रतीक है।
4. महिषासुर और नवरात्रि का संबंध
हम सभी जानते हैं कि माँ दुर्गा ने भैंसासुर (महिषासुर) का वध किया था। लेकिन कम लोग जानते हैं कि कर्नाटक का मैसूर (महिषूरु – महिषासुर का शहर) उसी के नाम पर है। वहीं का भव्य मैसूर दशहरा इसी विजय की याद में मनाया जाता है।
5. नवरात्रि और रामायण
उत्तर भारत में नवरात्रि का सीधा संबंध रामलीला और दशहरे से है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले माँ दुर्गा की नौ दिन पूजा की थी। इसी को "अकाल बोधन" कहा गया है। यही कारण है कि बंगाल का दुर्गा पूजा अपना अलग ऐतिहासिक महत्व रखता है।
6. अलग-अलग राज्यों की परंपराएँ
हिमाचल प्रदेश – कुल्लू दशहरा: यहाँ दशहरा विजयादशमी से शुरू होता है, खत्म नहीं।
तमिलनाडु – गोलू: घरों में मिट्टी की गुड़ियों से सीढ़ीनुमा सजावट की जाती है।
केरल – सरस्वती पूजा: आखिरी तीन दिन माँ सरस्वती को समर्पित होते हैं और विजयदशमी को विद्यारंभम (शिक्षा की शुरुआत) होती है।
गुजरात – गरबा और डांडिया: गोल घेरा बनाकर किया जाने वाला गरबा समय के चक्र का प्रतीक है और बीच में रखा दीपक माँ दुर्गा को दर्शाता है।
7. नवरात्रि और तांत्रिक परंपराएँ
आसाम और बंगाल में नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माँ काली और त्रिपुरा सुंदरी के साधक इस समय विशेष साधना और ध्यान करते हैं।
8. नवरात्रि व्रत का विज्ञान
नवरात्रि का उपवास केवल धार्मिक कारणों से नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। फल, मेवे और हल्का भोजन पाचन को आराम देता है और बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
9. नौ रातों का प्रतीकात्मक अर्थ
हर रात आत्मा की यात्रा को दर्शाती है:
शैलपुत्री – जागरण
ब्रह्मचारिणी – अनुशासन
चंद्रघंटा – साहस
कूष्मांडा – सृजन शक्ति
स्कंदमाता – मातृत्व ऊर्जा
कात्यायनी – वीरता
कालरात्रि – भय पर विजय
महागौरी – पवित्रता और क्षमा
सिद्धिदात्री – दिव्य ज्ञान की प्राप्ति
10. भारत से बाहर नवरात्रि
भारत ही नहीं, नेपाल, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना, मॉरीशस और इंडोनेशिया (विशेषकर बाली) में भी नवरात्रि और माँ दुर्गा की पूजा होती है।
नवरात्रि सिर्फ नौ दिन का उपवास या नृत्य नहीं है। यह पौराणिक कथाओं, स्वास्थ्य, अध्यात्म, खगोलशास्त्र और लोक परंपराओं का अनोखा संगम है। जब भी आप नवरात्रि मनाएँ, इसके गहरे छुपे हुए अर्थ और कहानियों को याद रखें।
नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह नौ रातें माँ दुर्गा को समर्पित होती हैं। इस समय पूरे भारत में घर-घर में भक्ति, नृत्य, संगीत और पूजा का माहौल रहता है। ज़्यादातर लोग नवरात्रि को गुजरात के गरबा, उपवास या बंगाल के दुर्गा पूजा से जोड़ते हैं, लेकिन इस पर्व की और भी कई परतें, क्षेत्रीय परंपराएँ और कम जानी जाने वाली बातें हैं जो इसे दुनिया के सबसे समृद्ध सांस्कृतिक उत्सवों में से एक बनाती हैं।
आइए, नवरात्रि की सामान्य कहानियों से आगे बढ़कर उन पहलुओं को जानें जिनसे बहुत लोग अनजान हैं।
1. साल में चार बार मनाई जाती है नवरात्रि
अधिकतर लोग सोचते हैं कि नवरात्रि साल में सिर्फ एक बार (सितंबर–अक्टूबर में शारदीय नवरात्रि) होती है, जबकि वास्तव में हिंदू पंचांग में चार नवरात्रियाँ होती हैं:
चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल)
आषाढ़ (गुप्त) नवरात्रि (जून–जुलाई)
शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर, सबसे लोकप्रिय)
माघ (गुप्त) नवरात्रि (जनवरी–फरवरी)
गुप्त नवरात्रियाँ साधक और तांत्रिक लोग गुप्त रूप से विशेष साधनाओं के लिए मनाते हैं।
2. नवरात्रि और कृषि
नवरात्रि सिर्फ पौराणिक कथाओं से नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका सीधा संबंध खेती और ऋतु परिवर्तन से भी है। शारदीय नवरात्रि बरसात के बाद आती है जब नई फसलें तैयार होती हैं। इस समय का उपवास और सात्त्विक भोजन शरीर को शुद्ध करने और मौसम बदलने के लिए तैयार करने का एक तरीका है।
3. नौ रंगों का महत्व
आजकल नवरात्रि के नौ रंग पहनने का चलन बहुत लोकप्रिय हो गया है। लेकिन असल में ये रंग नवरात्रि किस दिन से शुरू हो रही है, उस पर निर्भर करते हैं। हर रंग माँ दुर्गा के अलग स्वरूप और उनकी ऊर्जा का प्रतीक है।
4. महिषासुर और नवरात्रि का संबंध
हम सभी जानते हैं कि माँ दुर्गा ने भैंसासुर (महिषासुर) का वध किया था। लेकिन कम लोग जानते हैं कि कर्नाटक का मैसूर (महिषूरु – महिषासुर का शहर) उसी के नाम पर है। वहीं का भव्य मैसूर दशहरा इसी विजय की याद में मनाया जाता है।
5. नवरात्रि और रामायण
उत्तर भारत में नवरात्रि का सीधा संबंध रामलीला और दशहरे से है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले माँ दुर्गा की नौ दिन पूजा की थी। इसी को "अकाल बोधन" कहा गया है। यही कारण है कि बंगाल का दुर्गा पूजा अपना अलग ऐतिहासिक महत्व रखता है।
6. अलग-अलग राज्यों की परंपराएँ
हिमाचल प्रदेश – कुल्लू दशहरा: यहाँ दशहरा विजयादशमी से शुरू होता है, खत्म नहीं।
तमिलनाडु – गोलू: घरों में मिट्टी की गुड़ियों से सीढ़ीनुमा सजावट की जाती है।
केरल – सरस्वती पूजा: आखिरी तीन दिन माँ सरस्वती को समर्पित होते हैं और विजयदशमी को विद्यारंभम (शिक्षा की शुरुआत) होती है।
गुजरात – गरबा और डांडिया: गोल घेरा बनाकर किया जाने वाला गरबा समय के चक्र का प्रतीक है और बीच में रखा दीपक माँ दुर्गा को दर्शाता है।
7. नवरात्रि और तांत्रिक परंपराएँ
आसाम और बंगाल में नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माँ काली और त्रिपुरा सुंदरी के साधक इस समय विशेष साधना और ध्यान करते हैं।
8. नवरात्रि व्रत का विज्ञान
नवरात्रि का उपवास केवल धार्मिक कारणों से नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। फल, मेवे और हल्का भोजन पाचन को आराम देता है और बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
9. नौ रातों का प्रतीकात्मक अर्थ
हर रात आत्मा की यात्रा को दर्शाती है:
शैलपुत्री – जागरण
ब्रह्मचारिणी – अनुशासन
चंद्रघंटा – साहस
कूष्मांडा – सृजन शक्ति
स्कंदमाता – मातृत्व ऊर्जा
कात्यायनी – वीरता
कालरात्रि – भय पर विजय
महागौरी – पवित्रता और क्षमा
सिद्धिदात्री – दिव्य ज्ञान की प्राप्ति
10. भारत से बाहर नवरात्रि
भारत ही नहीं, नेपाल, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना, मॉरीशस और इंडोनेशिया (विशेषकर बाली) में भी नवरात्रि और माँ दुर्गा की पूजा होती है।
नवरात्रि सिर्फ नौ दिन का उपवास या नृत्य नहीं है। यह पौराणिक कथाओं, स्वास्थ्य, अध्यात्म, खगोलशास्त्र और लोक परंपराओं का अनोखा संगम है। जब भी आप नवरात्रि मनाएँ, इसके गहरे छुपे हुए अर्थ और कहानियों को याद रखें।